Monday, January 22, 2018

लखनऊ के दिल में एलयू धड़कता है

हम सब के दिल में एक लखनऊ धडकता है पर लखनऊ के दिल में लखनऊ विश्वविद्यालय धड़कता है क्योंकि इस पूरे शहर में एक ही ऐसी जगह है जिसके साथ पूरे लखनऊ का नाम जुड़ा है |जल्दी ही हमारा यह प्यारा विश्वविद्यालय सौ साल का हो जाएगा ,भारत में कम ही ऐसे विश्वविद्यालय हैं जिनके पास सौ साल से ज्यादा की शैक्षिक विरासत है और उनके नाम के साथ एक पूरे शहर की विरासत जुड़ी हुई हो  लखनऊ विश्वविद्यालय उनमें से एक है |इसके बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है वैसे अधिकारिक तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई की शुरुआत जुलाई 17 ,1921 से शुरू हुई पर उससे काफी पहले ही लखनऊ में उच्च शिक्षा की अलख कैनिंग कॉलेज के रूप में जगाई जा चुकी थी |जिसकी स्थापना में अवध के तालुकेदारों का विशेष योगदान रहा जिन्होंने लार्ड कैनिंग की स्मृति में 27 फ़रवरी 1864  को लखनऊ में कैनिंग कालेज के  नाम से एक विद्यालय स्थापित करने के लिए पंजीकरण कराया। 1 मई 1864 को कैनिंग कालेज का औपचारिक उद्घाटन अमीनुद्दौला पैलेस में हुआ। शुरुआत  में 1867 तक कैनिंग कालेज कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया गया। उसके बाद1888 में इसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्धता दे दी गयी । सन 1905 में प्रदेश सरकार ने गोमती की उत्तर दिशा में लगभग नब्बे  एकड़ का भूखण्ड कैनिंग कालेज को स्थानांतरित किया गया जिसे बादशाहबाग के नाम से जाना जाता है। वास्तव से यह अवध के नवाब नसीरूद्दीन हैदर का निवास स्थान था ।उन्हीं दिनों महमूदाबाद के नवाब मोहम्मद अली मोहम्मद खान ,खान बहादुर ने उन दिनों के प्रसिद्द अखबार पायनियर में “लखनऊ विश्वविद्यालय” की स्थापना को लेकर एक लेख लिखा जिसने उन दिनों संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर का ध्यान अपनी ओर खींचा और दस नवम्बर 1919  को इस विषय पर एक सम्मेलन हुआ जिसकी अध्यक्षता हरकोर्ट बटलर ने की जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना का खाका खींचा गया | धीरे –धीरे लखनऊ विश्वविद्यालय ने आकार लेना शुरू किया शुरुआती दौर में तीन महाविद्यालय इसके अधीन लाये गए जिनमें किंग जोर्ज मेडिकल कॉलेज (अब किंग जोर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ),कैनिंग कॉलेज (अब लखनऊ विश्वविद्यालय मुख्य  परिसर ) और आई टी कॉलेज जोड़े गए | माननीय श्री ज्ञानेन्द्र नाथ चक्रवर्ती लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपतिमेजर टी० एफ० ओ० डॉनेल प्रथम कुल सचिव और श्री ई० ए० एच० ब्लंट प्रथम कोषाध्यक्ष नियुक्त हुए। विश्वविद्यालय कोर्ट की पहली बैठक 21 मार्च 1921 को हुई। अगस्त से सितम्बर 1921 के मध्य कार्य परिषद (एक्जीक्यूटिव काऊंसिल) तथा अकादमिक परिषद(एकेडेमिक काउन्सिल ) का गठन किया गया। सन 1922 में पहला दीक्षान्त समारोह आयोजित किया गया। सन 1991 से लखनऊ विश्वविद्यालय का द्वितीय परिसर सीतापुर रोड पर प्रारम्भ हुआजहाँ अभी  में विधि,इंजीनियरिंग  तथा प्रबंधन की कक्षाएँ चलती  हैं।
इतिहास का सबक जाने बगैर भविष्य की सुनहरी बुनियाद नहीं रखी जा सकती ,मेरे जैसे लाखों विद्यार्थियों के भविष्य की  तस्वीर संवार चुका यह विश्वविद्यालय पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक तंगी जूझने के बावजूद  से आज भी अपने काम में तल्लीनता से लगा है |आज भी जब गुजरे वक्त में यहाँ से पढ़ा कोई विद्यार्थी झांकता है तो अपनी जिन्दगी के बीते हसीं पलों का बड़ा हिस्सा लखनऊ विश्वविद्यालय के गलियारों से ही निकलता है |वो चाहे मिल्क्बार कैंटीन में दोस्तों के साथ लगे कहकहे हों या फिर जब जीवन में पहली बार मंच पर चढ़ने का मौका मिला हो |बहुत कुछ याद आता है वो पीजी ब्लॉक के कमरे हों या टैगोर पुस्तकालय के सामने का लॉन जब किताबों से ऊबे तो सामने प्रकृति की गोद में जा बैठे |वो नहर जो साल के बारह महीने न बहती हो पर उसके किनारे बैठे  कर न जाने कितने लोगों की तकदीर अपनी मंजिल तक पहुँच गयी | मालवीय हाल जहाँ याद दिलाता है कि हम किस महान परम्परा के वाहक है वहीं एपी सेन हाल कई सारी कलातमक अभिरुचियों का गवाह हमारी यादों में है | वे सम्मानित शिक्षक जिनका नाम आज भी तालीम की दुनिया में बड़े अदब से लिया जाता है |प्रो॰ टी. एन. मजूमदारप्रो॰ डी. पी. मुखर्जी,प्रो॰ कैमरॉनप्रो॰ बीरबल साहनीप्रो॰ राधाकमल मुखर्जीप्रो॰ राधाकुमुद मुखजीप्रो॰ सिद्धान्तआचार्य नरेन्द्र देवजैसे शिक्षकों पर हमें हमेशा गर्व रहेगा कि कभी वे इस विश्वविद्यालय का हिस्सा रहे थे |
टैगोर पुस्तकालय भारत ही नहीं दुनिया के समर्द्ध पुस्तकालयों में से एक है जिसका वास्तु  अमेरिकन वास्तुकार वाल्टर बरले ग्रिफिन ने डिजाइन किया था | बरले ग्रिफिन ने ऑस्टेलिया का केनबरा शहर भी डिज़ाइन किया था और उनकी योजना इस पुस्तकालय के साथ एक क्लोक टावर बनाने  की भी थी पर इससे पहले ही उनका निधन हो गया |टैगोर में कई हस्तलिखित भोजपत्र पांडुलिपियाँ भी संरक्षित हैं | ओंकारा’, ‘मैंमेरी पत्नी और वो’ एवं फिल्म कहाँ कहाँ से गुजर गया’ की शूटिंग लखनऊ विश्वविद्यालय के परिसर में हो चुकी है |
भारत के उत्कृष्ट पुरस्कारों में से 2 पद्म विभूषणपद्मभूषणएवं 18 पद्मश्री पुरुस्कारों के साथ-साथ बी० सी० राय और शान्तिस्वरूप भट्नागर पुरुस्कार भी यहाँ के छात्रों ने प्राप्त किये हैं।  ऐसे ही कुछ चेहरे हैं जिनका ज़िक्र किया जाना जरुरी है सबसे पहले तो नीति आयोग के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार उनके बाद सूची बहुत लम्बी हो सकती थी इसलिए बस कुछ चुनिन्दा लोग ही इनमें शामिल किये जा रहे हैं :
राजनीति : भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ शंकर दयाल शर्मा, पूर्व राज्यपाल - श्री सुरजीत सिंह बरनाला (तमिलनाडु), श्री सैयद सिब्ते रजी (झारखंड) , आरिफ मोहम्मद खानराजनीतिज्ञ, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज़फर अली नकवी, के. सी. पन्तभूतपूर्व केंद्रीय मंत्री एवं उपाध्यक्ष योजना विभाग, श्री हरीश रावत ,पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड,  के अतिरिक्त वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में ये कुछ चेहरे लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त हैं : प्रो दिनेश शर्मा ,उपमुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश सरकार , श्री ब्रजेश पाठक ,विधि मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ,श्रीमती स्वाति सिंह ,मंत्री स्वतंत्र प्रभार उत्तरप्रदेश सरकार ,श्री आशुतोष टंडन ,मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार,श्री सुरेश खन्ना ,मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार,श्री महेंद्र सिंह ,मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार
पत्रकारिता एवं साहित्य  : सय्यद सज्जाद ज़हीरराजनीतिज्ञकविलेखक श्री (स्व ) विनोद मेहता ,श्री नवीन जोशी ,श्री अम्बरीश कुमार ,श्री हरजिंदर साहनी ,श्री अमिताभ श्रीवास्तव ,श्री अकू श्रीवास्तव ,श्री आशुतोष शुक्ल ,श्री सुधीर मिश्र ,श्री राहुल कँवल , श्री प्रतीक त्रिवेदी, श्री आलोक जोशी ,
क्रिकेट :सुरेश रैना ,आर पी सिंह ,
संगीत :मालिनी अवस्थी ,अनूप जलोटा ,धर्मेन्द्र जय नारायण
लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के आजीवन  मानद सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ,लालबहादुर शास्त्री ,खान अब्दुल गफ्फार खान ,मोरारजी देसाई एवं इंदिरा गांधी जैसे नेता शामिल हैं और इनके दिए हुए सहमतिपत्र आज विश्वविद्यालय की धरोहर का हिस्सा हैं |
आज आठ संकायों के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में करीब सैंतीस हजार विधार्थियों को शिक्षित तो कर रहा है पर उसे इन्तजार है अपने गौरवशाली अतीत के लौटने का ,क्या उसके पूर्व विद्यार्थी सुन रहे हैं |
नवभारत टाईम्स लखनऊ में 22/01/2018 को प्रकाशित 

1 comment:

NISHIT | निशित said...

very informative article
with a balanced blend of emotional connect.

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