Thursday, April 16, 2015

टेलीकॉम कम्पनियों के नए कदम से नेट न्यूट्रैलिटी को चुनौती

मानव सभ्यता के इतिहास को तीन चीजों ने हमेशा के लिए बदल दिया |वह हैं आग पहिया और इंटरनेट |जिसमें इंटरनेट का सबसे क्रांतिकारी असर पूरी दुनिया पर हुआ जिसने दुनिया और दुनिया को देखने का नजरिया बदल दिया हैबात चाहे ख़बरों की हो,ऑनलाइन शॉपिंग या सोशल नेटवर्किंग साईट्स सब इंटरनेट पर निर्भर है|इंटरनेट ने हमारे जीवन को कितना आसान बना दिया है वो चाहे टिकट का आरक्षण हो या किसी बिल का भुगतान सब कुछ माउस की एक क्लिक पर, लेकिन यह सब इस बात पर  निर्भर करेगा कि सबको इंटरनेट की पहुंच समान रूप से उपलब्‍ध होयानी वे जो चाहें इंटरनेट पर खोज सकेंदेख सकें वह भी बिना किसी भेदभाव के या कीमतों में किसी अंतर केयहीं से इंटरनेट निरपेक्षता’  यानि नेट न्यूट्रैलिटी का सिद्धांत निकला हैमुख्य तौर  पर यह इंटरनेट की आजादी या बिना किसी भेदभाव के इंटरनेट तक पहुंच की स्‍वतंत्रता का मामला है| संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार इन्टरनेट सेवा से लोगों को वंचित करना और ऑनलाइन सूचनाओं के मुक्त प्रसार में बाधा पहुँचाना मानवाधिकारों के उल्लघंन की श्रेणी में माना जाएगा संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि फ़्रैंक ला रू ने ये रिपोर्ट विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रसार  और संरक्षण के अधीन तैयार की है|यानि हम कह सकते हैं कि इन्टरनेट आने वाले समय में संविधान सम्मत और मानवीय अधिकारों का एक प्रतिनिधि बन कर उभरेगा इसी कड़ी में फिनलैंड ने विश्व के सभी देशों के समक्ष एक उदहारण पेश करते हुए इन्टरनेट को मूलभूत कानूनी अधिकार में शामिल कर लिया | इंटरनेट के प्रसार व उपभोग बढने के साथ ही इसकी आजादी का मुद्दा समय समय पर उठता रहा है| इंटरनेट के विकास और व्यवसाय  को वास्तविक गति मोबाईल और एप ने दी है|एप से तात्पर्य  किसी कंप्यूटर वेबसाईट का लघु मोबाईल स्वरुप जो सिर्फ मोबाईल पर ही चलता है |एप ने इंटरनेट के बाजार को ख़ासा प्रभावित किया है |एप के आने के पहले इंटरनेट का इस्तेमाल विभिन्न वेबसाईट का इस्तेमाल सिर्फ कंप्यूटर पर ही किया जा सकता है |एंड्राइड मोबाईल के विकास और गूगल प्ले स्टोर पर मुफ्त उपलब्ध एप ने इंटरनेट के प्रयोग को खासी गति दे दी है|कंपनियां इस पर तरह तरह के रोक लगाना चाहती हैं|
नेट न्यूट्रैलिटी का इतिहास
इस शब्‍द का सबसे पहले इस्‍तेमाल साल 2003 में  कोलंबिया विश्‍वविद्यालय में  मीडिया लॉ के  प्रोफेसर टिम वू (Tim Wu) ने किया थाइसे नेटवर्क तटस्‍थता  (network neutrality), इंटरनेट न्‍यूट्रालिटी (Internet neutrality), तथा नेट समानता (net equality) भी कहा जाता है| नेट न्‍यूट्रालिटी का मतलब होता है हम जो भी इंटरनेट सेवा या एप इस्तेमाल करें वह हमें हर इंटरनेट सेवा प्रदाता से एक स्पीड और एक ही मूल्य पर मिलें | इंटरनेट सेवा मुहैया करवाने वाली टेलीकॉम कंपनियों  को लोगों को उनकी डाटा खपत के हिसाब से मूल्य वसूलना  चाहिए| चिली विश्व का सबसे पहला देश है जिसने नेटन्‍यूट्रालिटी को लेकर 2010 में अधिनियम पारित किया है.  
नेट न्‍यूट्रालिटी का अर्थ
आसान शब्दों में यदि हम इस शब्द को समझें तो इसका अर्थ यह होता है कि इंटरनेट पर उपलब्ध हर एक साइट पर हम बराबरी से पहुँच स्थापित कर पायेंहर एक वेबसाइट एक किलोबाइट या मेगाबाइट की प्रति पैसा दर बराबर रखेकिसी विशिष्ट वेबसाइट की गति/स्पीड अधिक अथवा कम न हो.किसी भी तरह के गेटवे जैसे एयरटेल वन टच इंटरनेटडेटा वैल्यू एडेड सर्विसेजइंटरनेट डॉट ओआरजी आदि न होंकोई भी वेबसाइट जीरो रेटिंग” न हो या कुछ वेबसाइटों को दूसरे के मुक़ाबले मुफ़्त ना बना दिया जाये
भारत में विवाद
भारत में यह मुद्दा पिछले साल अगस्त महीने में एयरटेल द्वारा उछाला गया थाटेलीकॉम कंपनियों ने टेलीकॉम अथॉरिटी के सामने यह मुद्दा रखा था कि फ्री वोइस कालिंग ओर मल्टीमीडिया संदेशों की वजह से एसएमएस ओर मोबाइल कालिंग में भारी गिरावट आती जा रही है इस कारण उन्हें सालाना 5000करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा हैइंटरनेट की सुलभता और बिना किसी खर्च के आसानी से मोबाइल पर उपलब्ध हो जाने वाले एप्स इसका मुख्य कारण हैभारत की सबसे बड़ी मोबाईल  कंपनी भारती एयरटेल ने एक ऐसा मोबाइल इंटरनेट प्लान लॉन्च किया है जिसमें  कुछ ऐप्स उपभोक्ताओं को मुफ़्त दिए जाएंगे,शेष के लिए कम्पनी उपभोक्ताओं से शुल्क वसूलेगी |अब अगर आप एयरटेल उपभोक्ता हैं तो इसका सीधा मतलब ये है कि आपके बजाय अब एयरटेल ये फ़ैसला करेगा कि आप कौन-कौन से ऐप्स का इस्तेमाल मुफ़्त कर सकते हैं,जबकि इससे पूर्व आप गूगल प्ले स्टोर पर किसी भी एप को डाउनलोड कर सकते थे और मोबाईल कम्पनी सिर्फ इस्तेमाल किये गए डाटा का शुल्क ही आप से वसूलेगी |यदि एप मुफ्त नहीं है तो भी एप का शुल्क एप उपलब्ध कराने वाली कंपनी को मिलेगा न की मोबाईल कम्पनी को पर अब मुफ्त एप के लिए भी कम्पनी आपसे शुल्क वसूलेगी |एयरटेल ज़ीरोनाम के इस प्लान की सोशल मीडिया पर काफ़ी आलोचना हुई है |विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसी योजनाओं से नेट न्यूट्रैलिटी’ यानी इंटरनेट के निष्पक्ष स्वरूप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा|
मोबाईल कम्पनियां व्हाट्स एप ,फेसबुक और दूसरे मेसेजिंग एप के आने के कारण चिंतित हैं क्योंकि इन मेसेजिंग एप से उनके व्यवसाय प्रभावित हो रहा है |एस एम् एस को इन चैटिंग ने लगभग समाप्त कर दिया है |अब ऐसे अधिकतर एप्स में वायस कॉलिंग सुविधा के आ जाने से  है उन्हें कॉल से मिलने वाली आय भी प्रभावित होते दिख रही है |
नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थन में जोरदार बहस चल पडी है और ऑन लाइन दुनिया में एक पिटीशन भी शुरू की गयी है और इसके पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के लिए ट्विटर पर #NetNeutrality नाम से एक हैश टैग भी चल रहा है जिसमें डेढ़ लाख लोगों से ज्यादा लोग अपने विचार रख चुके हैं |
लोग यह चाहते हैं कि इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए उपयोग में लाने वाले डाटा पैक अलग अलग न हों |सभी ट्रैफिक के एक ही डाटा पैक हों यानि गूगल वेबसाईट इस्तेमाल करने पर कोई दुसरी स्पीड और स्काईप इस्तेमाल करने के लिए कोई दुसरी नेट स्पीड न मिले भारत में इंटरनेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा अभी एकदम नया  है और  इंटरनेट निष्पक्षता से जुड़ा कोई क़ानून फिलहाल अभी तक बना  नहीं है और जानकारों का कहना है कि मोबाइल कंपनियां इसका फ़ायदा मुनाफ़ा बनाने के लिए कर रही हैं|नेट न्यूट्रैलिटी’ के हिसाब से ब कोई उपभोक्ता कोई भी डेटा प्लान ख़रीदता है तो उसे हक है कि उस प्लान में दी गई इंटरनेट स्पीड हर ऐप या वेबसाइट के लिए एक समान रहे|एक समय में अमरीका में भी इस मुद्दे पर बहस हुई थी और वहां फ़ैसला उपभोक्ताओं के पक्ष में लिया गया था|दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राईने इस विषय पर सेवाओं के नियमन से जुड़े बीस सवालों पर जनता से राय माँगी है |कम्पनियां 24 अप्रैल और आम जनता मई तक इस मुद्दे पर अपने सुझाव दे सकते हैं |यह राय advqos@trai.gov.in पर दी जा सकती है |
कैसे खत्म हो रही है नेट न्यूट्रैलिटी
टेलीकॉम कम्पनियां न केवल नेट न्यूट्रैलिटी को खत्म करने की मांग कर रही हैं वरन उन्होंने धीरे धीरे इसे ख़त्म करना शुरू भी कर दिया है|एयर टेल के अलावा रिलायंस ने फेसबुक के साथ मिलकर ऐसा ही इंटरनेट प्रोग्राम डॉट ओर्ग की शुरुवात की है |इसमें आप सर्च इंजन बिंग तो मुफ्त में इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन गूगल के प्रयोग के लिए आपको कीमत देनी होगी |नौकरी खोजने वाली वेबसाईट बाबा जॉब फ्री में उपलब्ध है लेकिन नौकरी डॉट कॉम के लिए शुल्क अदा करना पड़ेगा |
 तो क्या अब एप्स के लिए भी चार्ज देना होगा??
दुनिया को जोड़ने वालाइंटरनेट। एक क्लिक पर सवाल के तमाम जवाब देने वालाइंटरनेट। घर बैठे शॉपिंग और फिर घर बैठे ही डिलीवरी करने वालाइंटरनेट। आमजनों की जरुरत सा बन चुका है इंटरनेट। पर अगर आपको पता चले कि कुछ ही दिनों में शॉपिंग साइट एप्सचैट एप्स एक्सेस करने पर आपको चार्ज करना पड़ेगा तोखबर है कि टेलीकॉम कम्पनी एयरटेल अब तय करेगी कि किस एप को फ्री करना है और किस एप के लिए उपभोगताओं से पैसे चार्ज करना है।  इसका सीधा सा मतलब ये है कि जो मोबाइल ऐप एयरटेल को पैसा देगीउसे कंपनी मुफ़्त में उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगी।  इस स्कीम को एयरटेल के जीरो स्कीम के नाम से जाना जाएगा। हालाँकि ये स्कीम इंटरनेट न्यूट्रैलिटी का उलंघन कर रही है और सोशल साइट्स पर इंटरनेट यूजर्स इसका जमकर विरोध भी कर रहे हैं। नेट न्यूट्रैलिटी’ का मतलब है कि इंटरनेट पर हर ऐपहर वेबसाइट और हर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म बराबर हैं।  इंटरनेट फैसिलिटी प्रोवाइड करवाने वाली टेलीकॉम कंपनी को लोगों को उनकी डेटा यूसेज के हिसाब से चार्ज करना चाहिए।  एयरटेल की ये स्कीम इंटरनेट के रूल्स के खिलाफ है।  इसका सीधा सा मतलब ये है कि हो सकता है एयरटेल सिर्फ उन्हीं एप्स को प्राथमिकता दें जिससे उसकी डील हो।  वैसे खबर ये भी है कि वॉट्सएप भी अब सालाना 60 रुपये चार्ज करने वाला है।  इसके कम्पटीशन में रिलायंस ने जिओ नाम के एप की शुरुआत की है जो तेजी से डाउनलोड किया जा रहा है।  इसमें वीडियोकॉलिंग की फैसिलिटी के साथ साथ 100 मैसेज भी फ्री दे रहे। 
 नेट न्यूट्रालिटी के पक्ष-
·          नेट न्यूट्रालिटी उपभोगताओं से सिर्फ उनके डेटा यूसेज के हिसाब से ही चार्ज करती है। इसके अतिरिक्त उनसे अन्य खर्च नहीं लिया जाता। इस कारण उपभोक्ता बिना सोचे जरुरत के हिसाब से एप्स डाउनलोड करते हैं।
·          उपभोगताओं द्वारा किसी भी डेटा प्लान खरीदने पर इंटरनेट स्पीड हर एप और सभी वेबसाइट के लिए सामान रहती है। इसका सीधा सा मतलब ये  है कि इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर हर तरह के डाटा को एक जैसा दर्जा देती है। इस कारण यूजर्स एक साथ कई टैब्स खोलकर चीजे सर्च कर लेते हैं।  उपभोक्ता जो चाहें इंटरनेट पर खोज सकतेदेख सकते हैं वह भी बिना किसी भेदभाव के या कीमतों में किसी अंतर के।
·          ‘नेट न्यूट्रैलिटी’ के चलते किसी भी एप को यूज करने के लिए अलग से डेटा पैक की जरुरत नहीं होती। मतलब एक बार डेटा पैक रिचार्ज कराने पर खुलकर इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। आशय यह है कि कोई खास वेबसाइट या इंटरनेट आधारित सर्विस के लिए नेटवर्क प्रवाइडर आपको अलग से चार्ज नहीं कर सकता।
·          एक बार डेटा पैक कराने के बाद फेसबुकटि्वटर जैसे सोशल मीडिया साइट्स,मेसेजिंग या कॉल सर्विस जैसे वॉट्सऐप,स्काइप,गूगल हैंगआउट से लाइव बातचीतकई तरह की ईमेल सर्विसेजन्यूज से जुड़ी साइट्स पर ऐक्सेस आसानी से फ्री में किया जा सकता है। इसके लिए अतिरिक्त कोई चार्ज नहीं देना होता है।
·          नेट न्यूट्रालिटी इंटरनेट की आज़ादी को बढ़ावा देता हैसाथ ही इंटरनेट के प्रचार प्रसार के किये बहुत  उपयोगी है।
नेट न्यूट्रालिटी के विपक्ष
·          नेट न्यूट्रालिटी से उपभोक्ताओं को तो फायदा होता है पर इससे कम्पनीज को कुछ हद तक घाटा होता है।
·          अधिक इंटरनेट के इस्तेमाल पर आईएसपी(इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरअतिरिक्त पैसे चार्ज कर सकती है। नेट न्यूट्रालिटी का प्रावधान है कि एक बार डेटा पैक कराने के बाद  अलग से एप आदि का चार्ज नहीं करेगा। पर इसके अतिरिक्त  उपभोक्ता जरुरत से अधिक इंटरनेट का इस्तेमाल करता हैतो आईएसपी  उससे चार्ज ले सकता है।
·          आईएसपी के पास अधिकार है कि जिस कंटेंट को न दिखाना,चाहे  उसे ब्लॉक कर सकता है। अर्थात सेंसरशिप लगाने का पूरा अधिकार आईएसपी के पास है।
·          अधिक फाइल ट्रांसफर करने पर इंटरनेट स्पीड स्लो हो  सकती है। जीमेल हॉटमेल के मुकाबले तेज काम करता है। स्पीड ट्रांसफर रेट पर निर्भर करती है।
·          नेट न्यूट्रालिटी हटने के बाद हो सकता है कि कम्पनीज को फायदा ही और वो  कस्टमर्स को बेहतर सर्विस मुहैय्या कराये। जिससे एक तरह से उपभोक्ताओं को ही फायदा होगा।
भारत में नेट न्यूट्रालिटी से जुड़े प्रमुख कानूनी प्रावधान
एयरटेल का जीरो स्कीम नेट न्यूट्रिलिटी के खिलाफ है लेकिन इसके लिए कोई कानून नहीं होने से इसे गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता है।जानकारों की मानें तो जल्द ही इसके खिलाफ  प्रावधान बनाया जाएगा। देश में फिलहाल नेट न्यूट्रालिटी के लिए अभी कोई कानून नहीं है।
सम्बंधित तकनीकी शब्दावली
वी ओ आई पी :- वोइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल जिससे के माध्यम से आप दुनिया में कहीं भी सस्ती इंटरनेट डेटा दर या फ्री वोइस कॉल कर सकते हैं जैसे कि व्हाट्स एपस्काइप या व्हाईबर इत्यादि.
ओ टी टी :- ओवर दा टॉप या मूल्य वर्धित सेवाए जैसे की विडियो कालिंगइंटरनेट टीवी(आई पी टीवी), स्ट्रीमिंग मल्टीमीडिया सन्देशजिसके कारण टेलिकॉम कम्पनियों सालाना 5000 करोड़ का नुखसान हो रहा हैं I

प्रभात खबर में 16/04/15 को प्रकाशित 

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