Sunday, August 31, 2014

इंटरनेट के बजाय मेहनत पर करें भरोसा

सुबह सुबह जल्दी उठकर पढना चाहिए बचपने में मेरे पिता जी कहा करते थे कि सुबह दिमाग फ्रेश होता है इसलिए जो पढो वो जल्दी याद हो जाता है,जिन्दगी आगे बढ़ चली पर हम इस बात से चिपक के रह गए तो ऐसी ही एक सुबह मेरी कुछ आंकड़ों पर नजर पडी जो मेरे जेहन में रह गयी| जितना मुझे याद रहा उस हिसाब से देश में 20 से 35 वर्ष के आयु वर्ग की आबादी2021 तक बढ़कर 64 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है जो 2001 में करीब 58 प्रतिशत थी। वर्ष 2020 में भारत की 125 अरब की आबादी की औसत आयु 29 साल की होगी जो चीन और अमेरिका के लोगों से भी युवा होगी ,बात है न मजेदार अब जरा सोचिये इतने सारे युवा आंकड़े और भी हैं वर्ष 2011 और 2016 के बीच करीब 6.35 करोड़ नए लोग कामकाजी आबादी में शामिल होंगे जिनमें20 से 35 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या सबसे अधिक होगी।युवा आबादी का अधिक होना अच्छी बात है पर ये युवा, मानव संसाधन की द्रष्टिकोण से भी बेहतर होना चाहिए.अब आपके दिमाग की घंटी बजी होगी मानवसंसाधन को बेहतर होने के लिए युवा आबादी का पढालिखा और स्किल्ड होना चाहिए|  पढने लिखने और कुछ सीखने की जगह है कैम्पस,कैम्पस के दिन बोले तो ख्वाब,आजादी, और हसरतों को थोड़ा सा अगर आपस में मिला दिया जाए तो जो पहला ख्याल किसी के दिल में आएगा वो अपने कैम्पस या कॉलेज के दिनों का ही आएगा|  वही कैम्पस जहाँ कभी मस्ती की पाठशाला सजती है तो कभी किसी लेक्चर से आपका जीवन हमेशा के लिए बदल जाता है |जब मेरे पिता जी सुबह जल्दी उठने की सलाह दिया करते थे तब के कैम्पस और आजकल के कैम्पस में जमीन आसमान का अंतर आ गया है.खड़िया डस्टर की जगह व्हाईट बोर्ड, मार्कर आ गए हैं क्लास रूम स्मार्ट हो गए हैं जहाँ पढ़ाई आडिओ वीडिओ के साथ होती है|पर कुछ चीजें कभी नहीं बदलती जैसे जब तक हम पढेंगे नहीं तब तक आगे बढ़ेंगे नहीं| जैसे डरना जरुरी है वैसे पढना भी| तो डरने और बढ़ने के इस सिलसिले में पढ़ाई का रूप बदला है अब नोट्स एक्सचेंज करने के लिए व्हाट्स एप पर ग्रुप है तो क्लासेज की सूचना के लिए फेसबुक पेज,सब कुछ इतना आसान हो गया है |आप हर पल हर क्षण कनेक्टेड हैं अब देखिये न सोशल नेटवर्किंग की इस दुनिया में आधी से ज्यादा आबादी युवाओं की है जिनके पास कहने को बहुत कुछ है पर इस पूरी प्रक्रिया में आपने गौर किया होगा हमारी निर्भरता “गूगल” देव और तकनीक  पर ज्यादा बढ़ी है और सेल्फ स्टडी पर जोर कम हुआ है| 2 का स्क्वायर रूट रटने निकालने की जरुरत नहीं गूगल कर लो यार,कुछ जोड़ना या घटाना है, मोबाईल निकला जेब से और उँगलियाँ उसके टच पर थिरकने लग गयीं|पुराने लोगों की सारी बातों को ओल्ड फैशंड कह कर खारिज कर देना ठीक नहीं | अब सुबह उठकर स्टडी करना वाकई बीते वक्त की बात होती जा रही है हम तो रात में ही पढेंगे और सुबह देर तक सोयेंगे|पढ़ाई किस वक्त करनी है ये आपका निजी फैसला है पर जिन्दगी में अनुशासन बहुत जरुरी है मतलब सुबह पढ़ें या शाम को पर नियमित रूप से पढ़ें |हर चीज पर गूगल की शरण में जाने की बजाय अपने दिमाग का भी इस्तेमाल करें ये तो आपको भी पता है कि अगर दिमाग का इस्तेमाल ज्यादा नहीं किया जाएगा तो वो बेकार हो जाएगा वही  बात दिमाग पर भी लागू होती है| गूगल इंसानी दिमाग ने ही बनाया है तो गूगल हर समस्या का निदान नहीं दे सकता है|गूगल पर जो लोग जानकारियाँ डाल रहे हैं वो हमारे आपके जैसे ही लोग हैं अगर सब गूगल पर निर्भर हो जायेंगे तो गूगल पर  नयी जानकारियां कहाँ से आयेंगी तो पढने में लीडर बनिए,कुछ नयी किताबें खोजिये कुछ नया पढ़िए और फिर उन जानकारियों को लोगों के साथ साझा कीजिये  जिससे आपकी दी हुए जानकरियों से गूगल का खजाना बढे और आपके फालोवर भी|उन्हीं जानकारियों को आगे बढ़ने का क्या फायदा जो पहले से ही गूगल पर हैं| जब हम हैं है नए  तो अंदाज़ भी नया होना चाहिए क्यूंकि अभी भी गूगल और विकीपीडिया पर पढ़ाई से सम्बन्धित विदेशी सामग्री ज्यादा है तो डूड स्मार्ट क्लास में पढ़ भर लेने से कोई स्मार्ट नहीं हो जाता उसके लिए एक्शन में भी स्मार्टनेस होनी चाहिए तो सोच क्या रहे हैं आप भी उसी युवा आबादी  का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो कल रोजगार पायेंगे और रोजगार के लिए स्किल्स का होना जरुरी है तो स्किल्स डेवेलप कीजिये और अपनी स्किल्स को इंटरनेट के साथ साझा कीजिये जिससे गूगल पर कुछ नयी बातें आयें और हमारा ह्युमन रिसोर्स बेहतर हो सके| अब सोच क्या रहे हैं चलिए आज कुछ नयी किताबें खरीदीं जाएँ कुछ नया पढ़ा जाए|  
हिन्दुस्तान युवा में 31/08/14 को प्रकाशित 

10 comments:

Unknown said...

Aaj kal log google ki duniya me ese kho se gaye hai ki unko aur kuch dikhta nahi.... thanku sir for giving us such a important information...

Unknown said...

yes sir you are right aaj log kisi bhi samasya ka nidan ke liye pahale internet ko he use karne ko sochta hai aur woh internet ka use karke samasya ka hal karta hai. jisshe woh yeh nahi jaan pata ki woh samasya kyo i, kin karano ne yeh samasya ko ujagar kiya is par woh nahi sochta hai....

akash yadav said...

sir mere pitaji mujshe kehte hai-jo sowat hai wo khowat hai jo jagat hai wo pawat hai.aur kuch pane ke liye mehnat karo google nahi...

juhi srivastav said...

Exactly sir! Google aur search engine ne hmri life sameth kar rakh diya hai. Ab practical knowledge Ki Baat kare to kuch nh milta. Isliye cheezo ka utna hi use kare jitne Ki jarurat hai aur jyada tar hme apne mehnat par bharosa karna chahiye.

Unknown said...

par sir google ne hamari madad b bhut ki he, kuch aise sawal jo hame ghanto books me dhundhne padte bas ko kuch click me hamare samne hote he, par haam isse ham alsi b ho gye he,


saurabh yadav

RABINSHU SHARMA said...

सुबह का समये विध्यार्थीयों के लिए अमूल्य माना जाता था लेकिन जबसे यह लेट नाइट स्टडी का कान्सैप्ट शुरू हुआ है, उसने स्टूडेंट्स की हैबिट बदल दी है। गूगल से साल भर कितना भी पड़ लें लेकिन परीक्षा के एक दिन पहेले हमे पेन-काँपी का इस्तेमाल कर नोट्स रिवाइस करे बिना चैन नहीं आता।

aditi verma said...

Sahi hai sir aur mere hisab se mehnt krk padho + jitna padho smjh k padho rtta marne se ap safal nai ho skte bhale ap us vqt top kr jae but muamla zindgi ka ho to wha apka tlnt hona chahiye na gogl baba kripaqk zindgi k kuch swalo k jwab apko khud dundne hote h right sir???.aditiverma

Unknown said...

sahi kaha sir ye search engines hamare kaam simplify karne ke liye hai aur iske upar hame zarurat se zyada rely nahi karna chahiye.
Ashutosh Jaiswal
MJMC 1st semester

Unknown said...

sir internet ne bebas kar deya hi mehnat nahe karne par

Unknown said...

Yes it is true day by day we are becoming dependent on goggle and less using our brain which is very bad habit.we should avoid using it but it is not so easy I personaly use it very frequently for my every problem but after reading this post I will try to use it less or will use my brain to solve my queries.Goggle is becoming addiction for us which has merits nd demerits both.

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