Friday, April 20, 2012

कैसे उसको झेलूं में


यांगिस्तानियों का हिन्दुस्तान , सच यही है भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहाँ आधी से ज्यादा आबादी युवा है तो जवानी जिंदाबाद पर जवानी जोश की ज्यादा होती है होश की कम बस इतना पढते आपने मान लिया होगा कि मैं कोई नया लेक्चर देने जा रहा हूँ पर वास्तव में ऐसा है नहीं हममें से ज्यादातर लोग जो होश से काम नहीं लेते तुरंत निष्कर्ष निकाल लेते हैं lol  खैर जब बात युवाओं की हो और इंटरनेट की न हो ऐसा असम्भव है वैसे भी इंटरनेट जहाँ होश वालों के लिए दुनिया से जुड़ने आगे बढ़ने की असीम संभावनाएं लाया है वहीं जोश वालों के लिए पोर्न वीडियो और लिटरेचर जैसा खतरा भी . गूगल की रिपोर्ट बताती है कि पोर्नशब्द की खोज का आंकड़ा 2010 से 2012 के बीच दोगुना हो गया है .गूगल ट्रेंड्स 2011 के मुताबिक पोर्न शब्द की खोज करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 शहरों में सात भारतीय शहर थे.दिल्ली में किये गए मैक्स हॉस्पिटल के सर्वे से पता चलता है कि 47 प्रतिशत छात्र रोजाना पोर्न के बारे में बात करते हैं.टेक्नोलाजी रोज बदल रही है दुनिया सिमट रही है पर क्या यांगिस्तानी इसके लिए तैयार है बचपने में एक दोहा सुना था धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आये फल होय पर आजकल तो हर काम एकदम फास्ट हो रहा है और हम भी काफी जल्दी में हैं और इसका नतीजा देखिये नॅशनल क्राईम ब्यूरो के आंकड़ों के लिहाज से भारत में साइबर अपराधों की सूची में पोर्न सबसे ऊपर है.बच्चे जल्दी बड़े हो रहे हैं मानसिक रूप से वो इतने मेच्योर नहीं होते कि इन सब चीज़ों की गंभीरता को समझ सकें तकनीक की सर्वसुलभता हर चीज को खेल बना रही है और इसका नतीजा एम् एम् एस कांड और वीडियो क्लिप के रूप में सामने आ रहा है.थोडा चिल करते हैं इंटरनेट के इस युग में सेंसरशिप की बात बेमानी है वैसे भी हम क्या देखना और पढ़ना चाहते हैं ये कोई और क्यों बताये ,बात सही भी है लेकिन जब चीजें माउस की एक क्लिक पर मौजूद हों तो थोड़ी सावधानी जरूरी है.आज का यांगिस्तानी ज्यादा एनर्जेटिक और बोल्ड है जरुरत सेल्फ कंट्रोल की है .भारत में सेक्स को एक टैबू माना जाता है उस पर सार्वजनिक रूप से बात करना ,बहस करना अभी भी मुश्किल है.सेक्स एडुकेशन अभी भी बहस का ही मुद्दा है  लेकिन तकनीक ने सब कुछ आसानी से उपलब्ध करा दिया है वो कहावत आपने जरुर  सुनी होगी बन्दर के हाथ में उस्तरा ,अब बन्दर को क्या पता कि उस्तरे का क्या इस्तेमाल करना है तो दिखावे मत जाओ अपनी अक्ल लगाओ जो उम्र सपने देखने और उन्हें पूरा करने की है उस समय का सही और सकारात्मक इस्तेमाल किया जाना चाहिए.पोर्न लिटरेचर हो या वीडियो थोड़ी देर के लिए आपको सुकून दे सकता है पर डूड ये मत भूलना कि वो आपकी सायकी को डिस्टरब भी कर सकता है और फिर कहीं ऐसा न हो कि आप हिंदी फिल्मों के उस डायलोग को याद करें कि यहाँ आने के तो बहुत रास्ते हैं और जाने कि नहीं.एक्सेस इस एवरी थिंग इस बैड पर पोर्न का चस्का कब एडिक्शन बन जाता है ये पता नहीं चलता तो जरुरत खुद की समझदारी को विकसित करने की है न कि सेक्स से सम्बंधित आधी अधूरी जानकारी लेकर अपने व्यक्तित्व को खराब करने की.चलते चलते ये उम्र कार उर गिटार के सपने पूरा करने की है न कि पोर्न को झेलने की .
आई नेक्स्ट में 20/04/12 को प्रकाशित 

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