Monday, February 20, 2012

तकनीक के नए मानक गढिये


जनवरी माह में पंजाब पुलिस ने पटियाला के समीप देवीगढ़ से एक ऐसे दर्जी को गिरफ्तार किया जिसने एक शादी शुदा महिला का जाली फेसबुक अकाउंट सिर्फ इसलिए बना दिया कि  उस महिला के पति से दर्जी का मनमुटाव हो गया था| ये घटना महज सोशल नेटवर्किंग साईट्स के दुरूपयोग की बानगी भर है ऐसी ना जाने कितनी घटनाएं रोज होती हैं |तकनीक  मानव समस्याओ का समाधान करने मे मदद करनेवाले औज़ारो, मशीनो और प्रक्रिया का विकास और प्रयोग है पर यदि तकनीक का इस्तेमाल सोच समझ कर ना किया जाए तो ये काम बिगाड़ भी सकती है .भारत जैसे विकास शील देश में तकनीक से लोगों को परिचित होने में वक्त लगता है पर दुनिया मार्शल मैक्लूहान के शब्दों में एक विश्व ग्राम में तब्दील हो चुकी है इसलिए तकनीक जो बनायी अमेरिका जैसे विकसित देश के लिए जाती है उसका इस्तेमाल भारत जैसे अनेक विकासशील देशों में होने लगता है पर उस देश का समाज उसके लिए कितना तैयार है इस विषय पर ध्यान कम दिया जाता है |मसलन इन्टरनेट को ही लिया जाए  इंटरनेट की उमर अब इकतालीस  साल हो चली  है। उम्र के लिहाज से देखा जाए तो इन्टरनेट अब प्रौढ़ हो चला है पर भारतीय परिवेश के लिहाज से इन्टरनेट एक युवा माध्यम है जिसे यहाँ आये अभी सोलह साल ही हुए हैं | इसी परिप्रेक्ष्य में अगर सोशल नेटवर्किंग को जोड़ दिया जाए तो ये तो अभी बाल्यवस्था में ही है .ऐसे में अभी इनके इस्तेमाल के मानक गढे जाने हैं जिससे सोशल नेटवर्किंग साईट्स का दुरूपयोग रोका जा सके तकनीक और मार्केट रिसर्च फर्म फारेस्टर रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार 2013 तक दुनिया में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या 45प्रतिशत बढकर 2.2 अरब हो जाएगी।इस बढोत्तरी में सबसे ज्यादा योगदान एशिया का रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 तक भारत इंटरनेट यूजर्स के मामले में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर होगा।भारत में इस वक्त ढाई करोड लोग सोशल नेटवर्किंग साईट्स से जुड़े हुए हैं फेसबुक अपने आई पी ओ के  शेयर विवरण पत्र (प्रोस्पेक्टस) में बताता  है,कि ये सोशल नेटवर्किंग साइट अपने उपयोगकर्ता (यूज़र) आधार को भारत, जापान और दक्षिण कोरिया में बढ़ाने का इरादा रखती है। ऐसा सतत विपणन, उपयोगकर्ताओं के अधिग्रहण प्रयासों और फेसबुक को ज्यादा सुगम्य बनाने हेतु मोबाइल एप्स समेत अपने उत्पादों में इज़ाफे  के माध्यम से किया जाएगा।भारत में फेसबुक की प्रवेश दर करीब बीस से तीस फीसदी है, जो जापान, रूस और दक्षिण कोरिया की 15 फीसदी से भी कम दर के मुकाबले बेहतर है, पर इतने सारे नए नेट उपभोक्ताओं ने एक समस्या को जन्म दिया है वो है इसमें सोशल नेटवर्किंग साईट्स मैनर का ना होना या यूँ कहें कि इसका इस्तेमाल किस तरह से करना है ये गिरने सम्हलने का दौर है पर भारत जैसे देश में जहाँ फैसले दिमाग से कम और दिल से ज्यादा लिए जाते हैं वहां ऐसे नए नेट यूजर समस्या भी खडी कर रहे हैं .जहाँ लोग मित्रता निवेदन रुचियों के हिसाब से नहीं बल्कि फोटो को देखकर भेज रहे हैं अकारण लोगों को टैग कर देना अश्लील वीडियो को देखने की लालसा में वाइरस की जकड में आ जाना जो आपके मित्रों की वाल पर भी बगैर आपकी जानकारी के पहुँच जाता है .लैंगिक समानता के दौर में महिलाओं को इन सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर पुरुषों से ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है .सोशल नेटवर्किंग साईट्स वर्चुअल दुनिया में सामाजिकरण के लिए हैं जहाँ आप अपनी तस्वीरें ,विचार ,वीडियो लोगों के साथ साझा कर सकें पर एक ऐसा देश जहाँ लोग बहस सुनने और समझने की बजाय सिर्फ बहस करना पसंद करते हैं जहाँ दूसरे पक्ष के लिए जगह ही  नहीं वहाँ ये तकनीक कई नए तरह
की समस्याएं भी पैदा कर  रही है और इसीलिये सरकार को भी इसे नियंत्रित करने के बारे में सोचना पड़ा|याद कीजिये भारत में मोबाईल को आये पन्द्रह साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है पर फिर भी हम अभी इसके सही इस्तेमाल का सही तरीका सीख ही रहे हैं ,चूँकि हमारे समाजीकरण में अभी तकनीक बहुत निचली प्राथमिकता में है और धीरे धीरे हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है अगर हमें सोशल नेटवर्किंग साईट्स और सूचना तकनीक का अधिकतम सकारात्मक इस्तेमाल करना है तो इसे अपने सामाजिकरण का हिस्सा बनाना होगा और इसके लिए जिम्मेदारी उस युवा पीढ़ी पर ज्यादा है जो इनके प्रथम उपभोक्ता बन रहे हैं उन्हें ही इसके इस्तेमाल के मानक गढ़ने हैं और आने वाली पीढ़ी को इन मानकों से परिचित भी कराना है| अगर ऐसा हो सका तो कोई भी इन सोशल नेटवर्किंग साईट का इस्तेमाल करते हुए हिचकेगा नहीं.
अमरउजाला में दिनांक 19/02/12 को प्रकाशित 

1 comment:

हमारा नजरिया said...

हम अपनी ज़िन्दगी में हर किसी को एहमियत इसलिए देते है
जो अछा होगा उससे कुछ सीख लेगे, जो बुरा होगा उससे सबक लेगे ....!! पर ये बात सायद हर एक मुकाम पर लागू नहीं होती बात करे अगर सोशल नेटवर्किंग साईट्स की तो इससे नकारात्क प्रभाव से जादा सकारात्मक प्रभाव पड़ा है पर बात फिर वही आके अटकती है जो अपने कही हमे आज तक इन सबके सही मानक नहीं गड़े जा सके है उम्मीद है की आप के इस लेख से तकनीक के नए मानक गढे जायेगे ..........................

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