Tuesday, February 7, 2012

जोश में होश ना खोएं



हम तो ऐसे हैं भैया, जी हाँ उम्र ही कुछ ऐसी है जब उम्मीदों के दिन हैं सपनों के दिन हाँ और हौसला ऐसा कि  कुछ पाना है कुछ कर दिखाना है जवानी इसी का नाम है और ऐसे जवानों को हम यांगिस्तानी कहते हैं और जब हम यांगिस्तानी हैं तो हमारा एटीट्यूड भी तो ऐसा ही होना चाहिए न कूल सिर्फ उम्मीदे बंधाने और सपने देखने से तो काम चलेगा नहीं उनको रीयल्टी में भी तो कन्वर्ट करना है न अब करियर को ही लीजिए आज कितने ओप्शन हैं हमारे पास,जब मैं छोटा था तो मेरे पेरेंट्स का एक ही ड्रीम था कि मैं  किसी तरह एक बैंक में जॉब पा जाऊं रीसन सिंपल था फादर बैंक में थे और करियर के बारे में उन्हें तींन  चीजें पता थी डॉक्टर,इंजीनियर और एक आई ए एस पर मैंने बदलती दुनिया में कुछ अलग करने का फैसला किया और आज आपसे मुखातिब हूँ है न मजेदार आज कितने करियर ओप्शन हैं हमारे पास फिर जब हम हैं नए तो अंदाज़ क्यों हो पुराना आज पाठशाला का मतलब सिर्फ बोरिंग लेक्चर नहीं बल्कि हैपनिंग क्लास होती है जिसमे पवार पॉइंट प्रेसेंटेशन है आडियो  वीडियो क्लास को इंटरेस्टिंग बना रहे हैं एवीइशन से लेकर डिजाईनिंग तक न जाने कितने ऐसे एरिया हैं जहाँ लोगों को एम्प्लोय्मेंट मिल रहा है फिल्म ,मीडिया आर्किटेक्चर के कितने इंस्टीट्यूट हमारे आस पास खुल गए हैं, आप भी सोच रहे होंगे कि ये मैं कौनसी कहानी आपको सुना रहा हूँ ये तो आप सबको पता है .बस यहीं आपने गलती कर दी.इतनी जल्दी कंक्लुशन निकालना ठीक नहीं है फिर आप तो यगिस्तानी हैं मैं मानता हूँ आपको अपने सपने पूरे करने की जल्दी है पर पुरानी कहावत है न जोश के साथ होश का भी होना जरूरी है .अपने करियर को सही शेप देने के लिए ऐसे इंस्टीट्यूट काफी मददगार हो सकते हैं पर शेक्सपीयर ने कहा था याद आया न all glitters are not gold हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती तो हर इंस्टीट्यूट सही हो ये जरूरी नहीं .ऐसे किसी भी इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने से पहले ये पक्का कर ले  कि उसका रिकग्निशन सही संस्था से है या नहीं वहां पढाने वाली फैकल्टी कैसी है और सबसे अच्छा ये रहेगा कि वहाँ  पढ़े हुए स्टूडेंट्स से जरुर एक बार बात कर ली जाए क्योंकि माउथ पब्लिसिटी से बड़ी कोई पब्लिसिटी नहीं होती .कहीं ऐसा न हो जाए कि आप कहें न खुदा ही मिला न विसाले सनम .इस जांच पड़ताल में आप इन्टरनेट की मदद लेकर सही फैक्ट्स पता कर सकते हैं आजकल ऐसे इंस्टीट्यूट की बाढ़ सी आयी है जो आपके सपनों का सौदा कर रहे हैं .एक बात और कोई भी इंस्टीट्यूट आपकी प्रतिभा को चमका सकता है पर जो चीज आपके अंदर नहीं है उसे पैदा नहीं कर सकता आपके सारे दोस्त किसी मीडिया इंस्टीट्यूट में दाखिला ले रहे हैं इसलिए आपने भी एडमिशन ले लिया तो गलत है अगर आपको पढ़ने लिखने का शौक नहीं तो ऐसे सपने मत देखिये कि आप महज़ एडमिशन लेकर बड़े मीडिया प्रोफेशनल बन जायेंगे .पहले अपना आंकलन कीजिये कि आप क्या कर सकते हैं फिर सपने देखिये और उन सपनों को पूरा करने की कोशिश, किसी अच्छे इंस्टीट्यूट में दाखिला लेकर कीजिये .आजके इस ग्लोबलाइजड वर्ल्ड में आपका टैलेंट बहुत देर तक छिपा नहीं रह सकता पर वो टैलेंट है क्या इसकी जानकारी आपसे बेहतर किसी को नहीं हो सकती .बात को थोडा और स्पष्ट करता हूँ अगर लोहा अच्छा है तो धार अच्छी आयेगी ही .मौसम बदल रहा है सर्दियाँ खत्म हुईं ,सर्दियों के बाद एक मौसम और आता है न आप गलत समझे मैं एक्साम सीजन की बात कर रहा हूँ ,क्योंकि यही वो सीजन जो आपके ड्रीम्स को पूरा करेगा तो लग जाइए अपने सपनों का पीछा करने में .

 आई नेक्स्ट में 7/02/12 को प्रकाशित 


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