Tuesday, October 21, 2008

वक्त के साथ जरूरी है बदलाव :एक पाती बेटे के नाम

प्रिय बेटा
तुम्हारा ई मेल मिला .मैंने भी ई मेल करना सीख लिया है ये तो तुम देख ही रहे होगे अब मुझे तुमहें चिठ्ठी भेजने के लिए पोस्ट ऑफिस के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे तुम्हारा भेजा हुआ मोबाइल मुझे तुम्हारा अहसास कराता है ऐसा लगता है कि तुम मेरे आस पास हो मैं तुमसे जब चाहूँ बातें कर सकता हूँ कितनी बदल गयी हैदुनिया मुझ जैसे ओल्ड एजेड परसन के लिए यह सब तो वरदान है लाइफ कितनी कम्फटेबल (comfortable) हो गयी है .तुमने लिखा है कि इस बार दीपावली पर तुम घर नही आ पाओगे दुःख तो हुआ लेकिन इस बात कि तस्स्सली भी है कि तुम भले ही कितनी दूर हो लेकिन मैं तुमसे जब चाहूँ बात कर सकता हूँ और विडियो कांफ्रेंसिंग से देख भी सकता हूँ .मैं जब पहली बार अपने घर से बहार निकला था तो चिठ्ठी को घर तक पहुँचने में सात दिन लग जाते थे और अमेरिका से तुम्हारा भेजा गया गिफ्ट दो दिन में मिल गया , पैसे भी मेरे अकाउंट में ट्रान्सफर हो गए हैं .शुगर फ्री चोकलेट तुम्हरी मां को बहुत पसंद आई.बेटा एक बात तुम मुझसे अक्सर पूछा करते थे कि पापा घर से स्कूल की दूरी तो उतनी ही रहती है लेकिन रिक्क्शे वाला किराया क्यों हर साल बढ़ा देता है मैं तुम्हें इकोनोमिक्स के जरिये किराया क्यों बढ़ता है समझाता था लेकिन मैं जानता था कि मैं तुम्हें समझा नहीं पा रहा हूँ .इतनी उमर बीतने के बाद मुझे ये समझ में आ गया है कि चेंज को रोका नहीं जा सकता है और अगर वह अच्छे के लिए हो रहा है तो हमें बाहें फैला कर उसका स्वागत करना चाहिए . जब तुमने पहली बार कंप्यूटर खरीदने की डिमांड की थी तो मैं बड़ा कन्फुज (confuse) था एक मशीन से पढ़ाई कैसे होगी लेकिन तुम्हारी जिद के आगे मुझे न चाहते हुए भी कंप्यूटर खरीदना पड़ा और इसी कंप्यूटर ने हम सब की जिन्दगी बदल दी शुरुवात में मुझे लगता था की उमर के आखिरी पडाव पर मै यह सब सीख कर क्या करूँगा मैं अपनी पुरानी मान्यताओं पर टिका रहना चाहता था .तुम्हें काम करते देख थोड़ा बहुत मैं भी सीख गया और आज जब तुम हम सब से इतनी दूर हो तुम्हारी कमी जरूर खलती है लेकिन लाइफ में कोई प्रॉब्लम नहीं है .मुझे याद है कि तुम्हारी इंजीनियरिंग की फीस के ड्राफ्ट के लिए मुझे आधे दिन की छुटी लेनी पड़ती थी और बैंक में धक्के अलग से खाने पड़ते थे आज एक ई मेल या फ़ोन पर ड्राफ्ट घर आ जाता है.मेरी पुरानी मान्यत्वाओं से तुम अक्सर सहमत नहीं रहा करते थे और रैस्न्ली मुझे समझाते भी थे समझता तो मैं भी था बेटा लेकिन चेंज एक झटके में नहीं होता .तुम जब पहली बार दीपावली में मिठायिओं के साथ चोकलेट के पैकेट ले आए थे तो मैंने तुम्हें डाटा था कि तुम अपनी परम्पराएँ भूलते जा रहे हो खील बताशे की जगह चोकलेट और डिजाइनर पैकिंग की मिठियां नहीं ले सकती शायद तुम्हें याद हो बेटा तुमने कहा था पापा परम्पराओं को जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता अगर खील बताशे के साथ चोकलेट आ गयीं तो बुरा क्या ? परम्पराएँ अपने टाइम को रिप्रसेंट करती हैं जब टाइम चेंज हो रहा है तो क्यों न परम्पराएँ भी बदली जायें .
वाकई तुम सही थे बेटा ई कामर्स से कागज और इंक की कितनी बचत हो रही है जिससे इंविओर्न्मेंट को फायदा मिल रहा है अपना शहर भी तेज़ी से बदल रहा है शौपिंग मॉल्स ,मल्टीप्लेक्स खुल रहे हैं अब खुशियाँ मनाने के लिए किसी त्यौहार का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है जब तुम विदेश से लौटे थे तब हम पहली बार किसी होटल में खाना खाने गए थे , तुमने मुझसे से एक बात कही थी पापा सेविंग्स बहुत जरुरी है लेकिन आप खुशियाँ मनाने के लिए त्योहारों का इंतज़ार क्यों करते हैं आप होली दीपावली में मेरे कपड़े क्यों सिलवाते थे .हालाँकि उस वक्त मुझे तुम्हारी बात बुरी लगी थी . आज जब मैं अपने आस पास की दुनिया को देखता हूँ तब मुझे लगता है तुम सही थे मेरी उमर के तमाम लोग अपने ही बनाये नियम कानूनों में सिमटे रहना चाहते हैं वो बदलना तो चाहते हैं न जाने किस डर से वो हर चेंज को डर की नज़र से देखते हैं लेकिन तुम लोगों को देखकर लगता है कि तुम लोग जिन्दगी को एन्जॉय कर रहे हो और जीना इसी का नाम है तुम लोगों को अपने ऊपर भरोसा है रिस्क लेना का माद्दा है और रिस्क लेने वाला ही जीतता है मैंने जिन्दगी में रिस्क नहीं लिया और जिन्दगी भर क्लर्क बना रहा लेकिन तुमने मेरे लाख विरोध के बावजूद सरकारी नौकरी को छोड़ अपना बिज़नस शुरू किया और मुझे फख्र है कि मैं तुम्हारा फादर हूँ .खुश रहना मेरे बेटे
दीपावली की शुभकामनायें
तुम्हारा पापा
आई नेक्स्ट २१ अक्टूबर 2008 को प्रकाशित

Friday, October 3, 2008

समय प्रबंधन

दोस्तों अपने अक्सर सुना होगा लोग कहते हैं क्या बताएं समय ही नहीं मिलता करना तो बहुत चाहते हैं लेकिन समय की कमी आड़े आ जाती है वैसे सभी के लिए दिन भर में समय २४ घंटे का ही मिलता है लेकिन कोई उसका अधिकतम सदुपयोग करता है और जो नहीं कर पता है वो आज कल की भागती जिन्दगी में पीछे छूट जाता है अगर जिन्दगी में कदम से कदम, मिला कर आगे बढ़ना है तो आज की सबसे बड़ी जरुरत समय प्रबंधन ही है
प्रभावी रूप से समय के प्रबंध शुरू करने के लिए, आपको लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है. उचित लक्ष्य निर्धारित करने के बिना, आप परस्पर विरोधी प्राथमिकताओं में फंसकर एक भ्रम पर अपना समय व्यर्थ नष्ट कर देंगे. बचपने में एक कहावत सुनी थी समय अमूल्य होता है समय के साथ बचपना तो कहीं पीछे छूट गया और दुनिया कितनी आगे निकल गयी लेकिओं इस कहावत का मतलब वैसे का वैसे ही है.
समय वाकई बहुत मूल्यवान है अब ये हमारे हाथ में है की हम समय का इस्तेमाल कैसे करते हैं ? कहते हैं न गया वक्त फ़िर हाथ आता नहीं तो समय के जाने से पहले इसका प्रबंधन इस तरह किया जाए की इसकी कमी न खले .शुरुवात अपने दैनिक जीवन से करते हैं यानि सबसे पहले जिन्दगी के कुछ लक्ष्य निर्धारित कीजिये और निश्चित समय में उन्हें पाने की कोशिश कीजिये.
ये लक्ष्य अपने करिएर से लेकर आपसी रिश्तों तक कुछ भी हो सकता है और उसके बाद अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण कीजिये कहने का मतलब यह है की जीवन के कई सारे लक्ष्यों में कौन सा लक्ष्य आपकी प्राथमिकता है जीवन के हर मोड़ के साथ हमारी प्राथमिकतायें बदलती रहती हैं कभी करिएर हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होता है कभी परिवार .
समय प्रबंधन के बिना जीवन में सफलता की सीढियां नहीं चढी जा सकती हैं इसके लिए कुछ सुझाव पर अमल करें आप देखेंगे की आपके पास समय ही समय है ये उपाय हैं
* जीवन के बारे में स्पस्ट नजरिया रखें
*आप अपने आप से क्या चाहते हैं इसका स्पस्ट रूप से आप को पता हो जिससे आप उसी अनुरूप समय प्रबंधन कर सकें
*न कहने की आदत डालें जिससे आप लोगों के दबाव में न आकर अपने समय का दुरूपयोग को बचा पायेंगे
*लक्ष्य को स्पस्ट रखें उसी अनुसार कार्य करें
*सब चलता वाला रवैया छोड़कर अनुशासन का पालन करना चाहिए
*अपने सोने और उठने का समय निर्धारित करना चाहिए .
*अपने निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए किंतु इसके लिए समर्पण और धैर्य का होना बहुत जरुरी है .
वैश्वीकरण की इस दुनिया में टिके रहने का एक ही रास्ता है आगे बढ़ते रहना और बढ़ते रहने के लिए जरुरी है की हमें अपने मंजिल का पता हो और रस्ते में आने वाली मुश्किलों का भी अंदाजा हो ऐसे में समय प्रबंधन से ही हम आगे बढ़ सकते हैं लेकिन इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि जिन्दगी में सब कुछ आपके हिसाब से नहीं होगा और इस स्थिति का हम अपने जीवन में अक्सर सामना करते हैं.
ऐसी स्थिति आने पर न तो घबराना चाहिए और न ही अन्वाश्यक तनाव को अपने उप्पर हावी होने देना चाहिए
अन्वाश्यक तनाव आपको आपके लक्ष्यों से भटका सकता है धैर्यपूर्वक स्थिति का सामना कीजिये और अपने जीवन के लक्ष्यों को पुन: निर्धारित कीजिये और देखिये कितनी जल्दी आप सफलता के कितने करीब पहुँच जाते हैं . तो अब तक आप समझ चुके होंगे हमारी जिन्दगी में समय प्रबंधन की क्या अहमियत है तो इंतज़ार किस बात का है आज से ही अपनी जिन्दगी को व्यवस्थित कीजिये.
मुमकिन है सफर हो आसान अब साथ भी चल कर देखें
कुछ तुम भी बदल कर देखो कुछ हम भी बदल कर देखें
अब वक्त बचा है कितना जो और लड़े दुनिया से
दुनिया के नसीहत पर थोड़ा सा अमल कर देखें

आकाशवाणी लखनऊ से प्रसारित वार्ता

गाँधी जी के लिए

गाँधी जयंती मतलब टी वी पर गाँधी फ़िल्म , ड्राई डे , प्रभात फेरी रामधुन होलीडे बस अब हमारे लिए गाँधी जयंती के यही मायने हैं इस तेजी से बदलती दुनिया में हमें भी बदलना होगा नहीं तो पीछे छूट जाने का खतरा बना रहेगा तो इस बार गाँधी जयंती को मानाने का तरीका बदला जाएहम हैं नए अंदाज़ क्यों हो पुराना . लेकिन इसके लिए यह भी इम्पोर्टेंट है की गाँधी जी को और उनके विचारों को रियल सेंस में समझ लिया जाए गाँधी जी अभी आउट डेटेद नहीं हुए हैं वैसे गाँधी जी का दर्शन, गाँधी जितना ही सिंपल था. इसको समझने के लिए बुक्स पढने की जरूरत नहीं है जियो और जीने दो ख़ुद भी आगे बढो और दूसरों को आगे बढ़ने में मदद करो इसलिए गाँधी जयंती को हमें जिस तरह मनाने में खुशी मिलती है वही गाँधी जी को याद करने का सबसे बढ़िया तरीका है.आप सोच रहे होंगे की गाँधी का हमारी आज की लाइफ से क्या लेना देना ? थोड़ा सा दिमाग पर जोर डालिए ये सब कुछ हमारी जिन्दगी से जुडा हुआ मामला है गाँधी का दर्शन हमारी आज की लाइफ और दुनिया को बेहतर बना सकता है . गाँधी का जीवन ही उनका दर्शन था उनका सारा जीवन प्यार और अहिंसा की धुरी पर टिका हुआ था. गाँधी ने हमें प्यार और अहिंसा की ताकत का एहसास कराया माफी मांग लेना साहस का काम है कायरता नहीं. इस फिलोसफी को अगर हम अपनी लाइफ से जोड़े तो हमें लगेगा की यह तो आर्ट ऑफ़ लिविंग है. इसलिए जब तक लाइफ रहेगी गाँधी का आर्ट ऑफ़ लिविंग भी रहेगा.
अब इस आर्ट ऑफ़ लिविंग को भूलने का क्या रिजल्ट हो रहा है इसको समझने की कोशिश करते हैं .हमने कभी सोचा है कि हमारी आज की जिन्दगी इतनी कोम्प्लिकैटेद क्यों होती जा रही है ?एक झूट को सच बनाने के लिए सौ झूट बोलना पड़ता है चूँकि पैसेंस किसी के पास है नहीं इसलिए कोई वेट नहीं करना चाहता है. कम समय में बहुत कुछ पा लेने की चाह स्ट्रेस पैदा करती है और स्ट्रेस फ्रस्ट्रेशन और एंगर को पैदा करता है इन सारी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन गाँधी के दर्शन में है गाँधी कहा करते थे इस धरती में सभी की आवश्कताओं को पूरा करने की क्षमता है लेकिन किसी एक व्यक्ति के लालच को वह पूरा नहीं कर सकती. हमारे पास जो कुछ है उसमे संतुष्ट रहने की बजाय हम कुछ और पाने के आशा करते रहते हैं और अकारण तनाव का शिकार होते हैं. सच बोलना महज़ किताबी जुमला नहीं है बल्कि एक सच्चाई है क्योंकि सच , सच होता है और झूट , झूट है (मोबाइल पर हम दिन भर में कितना झूट बोलते हैं ) ये स्ट्रेस और फ्रस्ट्रेशन दिमाग में वाइलेन्स पैदा करता है. इस स्थिति से हम अपनी रियल लाइफ में रोज दो -चार होते हैं रिक्शे वाले से दो -चार रुपये के लिए झगडा ,सड़क पर पहले गाड़ी कौन निकालेगा और न जाने क्या -क्या .आख़िर क्यों ? हम पलट कर देखें की हमारी रोज की जिन्दगी में हम लोगों से प्यार से कितना बोलते हैं किसी परेशान आदमी की जगह हम अपने आप को रखकर देखें तो शायद प्रॉब्लम बिगाड़ने न पायें और सिचुअशन को ख़राब होने से बचाया जा सके .सही बात को सही तरह से रखा जाए तो उसका असर लंबा होता है . कानून को अपने हाथ में लेना ,हड़ताल किसी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन नहीं हो सकता है .गाँधी भी प्रतिरोध करते थे और उनके प्रतिरोधों का ही परिणाम है कि आज हम आजाद हवा में साँस ले रहे हैं . वाइलेंस के लिए एक सभ्य समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए आत्म संयम से बड़ा कोई डिस्पिलिन नहीं है ये कुछ ऐसे जीवन मूल्य हैं जो गाँधी जी हमारे लिए छोड़ गए हैं ताकि जब कभी हयूमनिटी खतरे में हो ये ज्योति पुंज उसकी मदद करें . आज से गाँधी जी के आर्ट ऑफ़ लिविंग को अपनाइए देखिये जिन्दगी कितनी खुशगवार हो जायेगी आपकी और दूसरों की भी, और शायद ये सबसे अच्छा गिफ्ट होगा गाँधी जी को हमारी तरफ़ से

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